Header Ads Widget

Election Time

                                   


                                भारत में चुनाव व्यवस्था

एक मतदाता के रूप में, आप यह फैसला करने में मदद करते हैं कि हमारा नेतृत्व कौन करेगा। आप हमारे राज्य और राष्ट्र के भविष्य को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय बताते हैं। हर बार जब आप अपने मतदान करने के कीमती अधिकार का उपयोग करते हैं, हमारा लोकतंत्र अधिक मज़बूत बनता है .


किसी भी लोकतंत्र मे व्यवस्था चलाने मे जनता की सीधी भागीदारी संभव नहीं है। इसलिए लोकतंत्र को सरल बनाने के लिए  जनता के प्रतिनिधि का चुनाव होता है।  तय नियमों के अंतर्गत, किसी स्वतंत्र संस्थान के निरिक्षण मे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाए जाते है।  इन चुनावों मे जनता भागीदारी करती है।  और वोट देकर अपने जन प्रतिनिधि को चुनती है।  इसी प्रक्रिया को चुनावी प्रक्रिया कहते है।

चुनावी प्रक्रिया निम्नलिखित बिंदुओं पर निर्भर करती है :

  • लोकतंत्र प्रत्यक्ष है या अप्रत्यक्ष
  • मतदान का अधिकार किसे होगा
  • मतदान के नियम क्या होंगे
  • कौन चुनाव लड़ सकता है
  • मतदान की प्रक्रिया क्या होगी
  • किसकी निगरानी मे चुनाव होंगे
  • मतगणना किस प्रकार होगी

भारत में चुनाव व्यवस्था

भारतीय लोकतंत्र दुनिया मे सबसे बड़ा लोकतंत्र है। भारत का संविधान चुनावों को लेकर कुछ मूलभूत नियम बनाता है। संविधान के भाग 15 मे दिए अनुच्छेद 324 से अनुछेद 329 के नियमों  के अंतर्गत भारत मे चुनाव किये जाते है।  आइये समझते है भारतीय चुनाव प्रणाली की विशेषता क्या है ? और भारत मे चुनाव तंत्र किस प्रकार काम करता है।

भारतीय चुनाव प्रणाली की विशेषता क्या है ?

फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट-सिस्टम: फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट-सिस्टम का अर्थ है जो सबसे आगे है वही जीत जाता है। इस विधि के अनुसार चुनाव परिणाम मे जिसे सबसे अधिक वोट मिले वह प्रत्याशी विजयी घोषित हो जाता है।  इसे बहुलवादी व्यवस्था कहते है।

व्यस्क मताधिकार प्रणाली: भारत मे व्यस्क मताधिकार प्रणाली के अंतर्गत 18 वर्ष की आयु से अधिक नागरिक को मतदान का अधिकार है। मतदान का अधिकार हर नागरिक का मौलिक अधिकार है।  एक व्यक्ति एक वोट यह बुनियादी सिद्धांत है।

भारतीय निर्वाचन प्रणाली के गुण 

    1. वयस्क मताधिकार- भारत में प्रत्येक 18 वर्ष में नागरिक को जो भारत का नागरिक हो, पागल दिवालिया या अपराधी न हो उसे वयस्क मताधिकारी राज्य की ओर से बिना किसी भेदभाव के दिया गया है जिससे कि यह शासन व्यवस्था के संचालन में सक्रिय भाग लेकर लोकतंत्र प्रणाली को साकार करें।

    2. संयुक्त निर्वाचन पद्धति के आधार पर निर्वाचन किए जाते है समाज के पिछडे वर्गो अनुसूचित जातियों व जनजातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था तो है और उन क्षेत्रों में उन्हीं जाति या वर्गो के प्रत्याशी ही चुनाव लड सकतें है। किंतु मतदान में उसी क्षेत्र के रहने वाले सभी मतदाता भले ही वह किसी भी जाति वर्ग या धर्म के मतदाता ही भाग लेते है। इस प्रकार संपूर्ण जनता का प्रतिनिधित्व वे प्रत्याशी करते है।

    3. गुप्त मतदान प्रणाली - चुनाव में मतदान गुप्त रीति से होता है तथा मतदाता बिना किसी दबाव के मत दे सकता है।

    4. एक सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र- भारत में निर्वाचन के लिए एक सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था है। प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाला प्रतिनिधि निर्वाचित घोषित किया जाता है। जो उस क्षेत्र की जनता का प्रतिनिधित्व करता है।

    5. स्थानो का आरक्षण- भारत में समाज के पिछडे वर्गों को सुविधा देने के लिए संसद विधानसभाओं नगरपालिकाओं और पंचायतों में स्थान उनके लिए आरक्षित रखे जाते है।

    6. निर्वाचन की प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष प्रणाली - भारत में निर्वाचन की प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दोनो प्रणालियों को अपनाया गया है। लोकसभा, राज्यों व संघ क्षेत्रों की विधानसभाओं के चुनाव प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली तथा राज्यसभा व राज्यों की विधान परिषदों, राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के चुनाव अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली द्वारा होते है।

    7. राजनीतिक दलो का संबद्धता- चुनाव में राजनीतिक दलो का संबद्ध होना निर्वाचन प्रणाली की विशेषता है। सभी स्तरों के चुनाव दलो के आधार पर निश्चित चुनाव चिन्ह को लेकर लडे जाते है। लेकिन जो प्रत्याशी निर्धारित योग्यता रखता है तथा किसी दल का प्रत्याशी नहीं होता फिर भी वह स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड सकता है।

    8. स्वतंत्र चुनाव की व्यवस्था- चुनाव निष्पक्ष हो सके इसके लिए चुनाव संचालन के लिए एक स्वतंत्र चुनाव आयोग की व्यवस्था की ग है।

    9. चुनाव याचिकाओं की व्यवस्था- चुनाव की अनियमितताओं तथा विवादों के समाधान के लिए मतदाता या प्रत्याशी उच्चन्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है। यदि चुनाव अनियमितता या भ्रष्ट तरीकों से जीता गया हो तो उसे निरस्त किया जा सकता है तथा भविष्य में चुनाव लडने के अयोग्य घोषित किया जा सकता है। 
    इसके अतिरिक्त ऐच्छिक मतदान, चुनाव प्रचार की स्वतंत्रता, जनसंख्या के आधार पर चुनाव क्षेत्र आदि भी भारतीय निर्वाचन प्रकिया की मुख्य विशेषताएँ या गुण है।

      भारतीय निर्वाचन प्रणाली के दोष

      1. निवार्चन प्रणाली बहुत खर्चीली है। अत: योग्य व अनुभवी प्रत्याशी धन की कमी के कारण चुनाव लडने में असमर्थ होते है। 
      2. भारत में प्रतिनिधित्व दोषपूर्ण है। सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाला प्रत्याशी विजयी घोषित किया जाता है भले ही उसे 25 या 30 प्रतिशत मत मिले हो। 
      3. अधिकांश मतदाता मताधिकार के प्रयोग में उदासीन रहते है। मतदाताओं के उदासीनता के कारण अयोग्य प्रत्याशी चुने जाते है सच्चा प्रतिनिधित्व नही होता। 
      4. निर्दलीय प्रत्याशी किसी के प्रति उत्तरदायी नही होते। पद की लालसा में वे दल बदल कर सत्तारूढ़ दल पैसा भ्रष्टाचार को बढावा देते है। 
      5. राजनीतिक दल आचार संहिता का उल्लंघन एक दूसरे पर लांछन चरित्र हनन, झूठी अफवाहों का सहारा लेकर गंदी राजनीति करते है। 
      6. जातीय व सांप्रदायिक भावना का दुष्प्रभाव : भारत की निर्वाचन प्रक्रिया पर पडता है। लागे राजनीतिक दलो अथवा प्रतिनिधियों की अच्छा-बुरा को ध्यान में रखकर मतदान नहीं करते। वरन वे जातिवाद व सांप्रदायिक भेदभाव के आधार पर मतदान करते है। 
      7. चुनाव याचिकाओं का निर्णय अत्यधिक विलंब से होता है। अत: वे को अर्थ नहीं रखती। 
      8. चुनाव जीतने के लिए लोग विचारों के प्रचार का नहीं वरन आतंक का सहारा लेते है। अनेक वार उम्मीदवार व उनके समर्थकों को मार डाला जाता है। चुनाव आचार संहिता के विपरीत उम्मीदवार एक दूसरे पर दोषारेापण करने से भी नहीं चूकते । 
      इसके अतिरिक्त शासकीय साधनों का दुरुपयोग, बोगस मतदान, मतदान केंद्रों पर कब्जा आदि भारत में निवार्चन प्रणाली के दोष है।

      भारतीय निर्वाचन प्रणाली के विभिन्न सोपान 

      1. मतदाता सूचियों की तैयारी, मुद्रण और प्रकाशन- निर्वाचन प्रक्रिया प्रारंभ होने से पूर्व मतदाता सूचियों में संशोधन किया जाता है। उन मतदाताओं, जिनकी मृत्यु हो चुकी है उनके नाम मतदाता सूचियों से काट दिए जाते है अज्ञैर मतदाता बनने की योग्यताएं रखने वाले नये मतदाताओं के नाम सूचियों में अंकित कर दिए जाते है। इस प्रकार मतदाता सूचियों का नवीनीकरण किया जाता है।

      2. चुनाव की घोषणा-चुनाव का प्रारंभ चुनाव की अधिसूचना से होता है। लोकसभा व राज्यसभा के लिए राष्ट्रपति, विधानसभाओं के लिए राज्यपाल, केन्द्र शासित प्रदेशों में उप राज्यपाल मतदाताओं को चुनाव के बारे में सूचना देते है। इस अधिसूचना का प्रकाशन चुनाव आयोग से विचार विमर्श करने के बाद सरकारी गजट में होता है।

      3. नामांकन पत्र-आम चुनाव की अधिसूचना प्रकाशित होने के पश्चात चुनाव आयोग द्वारा नामांकित पत्र भरे जाने की अंतिम तिथि नामाकंन पत्रों की जांच की तिथि व नाम वापस लिए जाने की तिथि की घोषणा की जाती है। चुनाव प्रत्येक चुनाव के लिए नामांकन की एक अंतिम तिथि निश्चित करता है। नामांकन पत्रो की जांच की जाती है। इस समय अधिकारी गण इस बात की जांच करते है कि नामांकन पत्रो में सभी जानकारी या सूचनाएं ठीक है या नहीं। यदि नामांकन पत्र की किसी प्रविष्टि में शंका हो या को उम्मीदवार उस स्थान के लिए योग्य न हो तो चुनाव अधिकारी नामांकन पत्र को अस्वीकार कर सकती है। जांच पूरी होने के 2-3 दिन पश्चात नामांकन वापस करने की अंतिम तिथि होती है। कोई भी उम्मीदवार यदि चुनाव न लडने का निर्णय करे वह अपना नामांकन वापस ले सकता है।

      4. चुनाव चिन्ह-प्रत्येक राजनीतिक दल का एक विशिष्ट और सरलता से पहचानने योग्य चुनाव चिन्ह होता है। यह चिन्ह ऐसा होता है जिसको मतदाता आसानी से पहचान कर अपनी पसंद के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान कर सके। मतपत्र पर उम्मीदवारो के नामो के आगे उनका चुनाव चिन्ह छपा रहता है। इससे निरक्षर मतदाता भी आसानी से अपनी पसंद के उम्मीदवार का चयन कर सकता है। निर्वाचन आयागे प्रत्येक दल के लिए चनु ाव चिन्ह निश्चित करता है। जहां तक संभव हो आयोग दल की पसंद का चिन्ह भी स्वीकार कर लेता है। परंतु ऐसा करते समय निर्वाचन आयागे यह भी सुनिश्चित कर लेता है कि विभिन्न दलो के चुनाव चिन्ह मिलते जुलते तथा भ्रमात्मक न हो।

      5. चुनाव प्रचार-राष्ट्रपति ने 19 जनवरी 1992 को एक अध्यादेश निर्गत करके लोकसभा चुनाव तथा विधानसभा के निर्वाचनों में चुनाव प्रचार की न्यूनतम अवधि 20 दिन से घटाकर 14 दिन कर दी है। इस अवधि में प्रत्याशियों को अपने अपने पक्ष में प्रचार करने का समुचित अवसर मिलता है। यद्यपि चुनाव होने की संभावना के साथ ही विभिन्न राजनीतिक दल अपना प्रचार करना आरंभ कर देते है परंतु नाम वापसी की तिथि के पश्चात विभिन्न राजनीतिक दलो के प्रत्याशियों के सामने आ जाने पर चुनाव पच्र ार में गंभीरता और तीव्रता आ जाती है। इस अवधि में राजनीतिक दलो के द्वारा अपने अपने चुनाव घोषणा पत्र (Election manifesto) जारी किये जाते है जिनमें वे अपनी अपनी नीतियों एवं कार्यक्रमों को स्पष्ट करते है। चुनाव प्रचार में प्रत्येक उम्मीदवार अपने समर्थन में सभाएं करके, भाषण देकर, जुलुस निकालकर, पोस्टर लगाकर और वीडियो फिल्म दिखाकर अपना प्रचार करता है। मतदान समाप्त होने के 48 घटें पूर्व चुनाव पच्रार समाप्त हो जाता है।

      6.मतदान-मतदान के लिए निश्चित की ग तिथि को मतदान होता है। मतदान के दिन मतदाता मतदान कक्ष में जाते है और गुप्त मतदान की प्रक्रिया से अपने मताधिकार का प्रयोग करते है। जो मतदाता असावधान होते है वह मतपत्र पर गलत मोहर लगाकर या को भी मोहर लगाकर अपना मतपत्र बेकार कर देते है। यदि मतपत्र पर सही स्थान पर मोहर न लगाया हो तो वह मतपत्र जिन पर नियमानुसार मोहर न लगा ग हो निरस्त कर दिया जाता है। जब मतदान समाप्त हो जाता है तो मतपेटियो को मोहरबंद करके मतगणना केन्द्रों तक पहुंचा दिया जाता है। अब चुनावो में इलेक्ट्रॉनिक वोंटिग मशीन का प्रयोग होता है। इसमें मतदाता अपने पसंद के प्रतिनिधि के नाम व चुनाव चिन्ह के सामने बटन दबाकर मत दते ा है।

      7. मतगणना-मतगणना जिलाधीश के नियंत्रण में जिला केन्द्रों पर की जाती है। मतगणना के समय प्रत्याशी या उनके प्रतिनिधि या उनके प्रतिनिधि उपस्थित रहते है। मतगणना के परिणामस्वरूप जिस प्रत्याशी को सबसे अधिक मत मिलते है उसी को निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है। ऐसे मतपत्र जिन पर नियमानुसार मोहर न लगा ग हो निरस्त कर दिये जाते है। मतगणना अधिकारी परिणाम की घोषणा करता है। फिर निर्वाचन अधिकारी परिणाम संबंधी जानकारीयाँ निर्वाचन आयोग को भेजता है। परिणाम की सूचना शासकीय गजट में भी प्रकाशित की जाती है। निर्वाचन अधिकारी विजयी उम्मीदवार को उसके संबंधित क्षेत्र से विजयी होने का प्रमाण पत्र देता है, जिसके आधार पर वह अपने पद की शपथ ग्रहण करता है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से मतदान होने पर को भी मत अवैद्य नहीं होता है। तथा मतगणना कार्य भी जल्द संपन्न हो जाता है।

      8. चुनाव संबंधी अन्य प्रक्रिया-चुनाव के बाद प्रत्येक उम्मीदवार को 45 दिनो के अंदर अपने चुनाव खर्चे हिसाब किताब चुनाव आयोग को भेजना पडता है। इसके अतिरिक्त यदि को उम्मीदवार निर्वाचन की निष्पक्षता या किसी और कारण से संतुष्ट न हो तो वह निर्वाचन के विरूद्ध निर्वाचन आयोग या न्यायालयों में अपील कर सकता है।


      आज के दौर मैं चुआव प्रचार का तरीका बदल गया है।  नेताओं का वोटरों को लुभावना ऑफर दे कर वोट खरीदना चाहते हैं।  क्या यह गैर क़ानूनी नहीं है ? क्या यह रिश्वत खोरी नहीं है ? जो भी नेता इस प्रकार के बातें करता है वह भारत के निस्पक्ष्य चुनाव प्रकिया की धज्जियाँ उडाता है।  ऐसे मैं यादगार फिल्म का यह गीत बिलकुल सठिक बैठता है. 

      एक तारा बोली तून तून

      क्या कहे ये तुमसे सुन सुन

      एक तारा बोली तून तून
      क्या कहे ये तुमसे सुन सुन
      बात हैं लम्बी मतलब गोल
      खोल ना दे ये सबके पोल
      तो फिर उसके बाद
      एक तारा बोली
      तून तून सुन सुन सुन
      एक तारा बोली तून तून
      क्या कहे ये तुमसे सुन सुन
      एक तारा बोली
      तून तून तून तून तून

      कुछ ऐसे लोग भी होते हैं
      कुछ ऐसे लोग भी होते हैं
      अपनी गलती पे रोते हैं
      अपना तो पेट नहीं भरता
      पर दास दास बच्चे होते हैं
      पर दास दास बच्चे होते हैं
      हर साल कैलेंडर चाप दिया
      परिवार नियोजन साफ किया
      तो फिर उसके बाद
      एक तारा बोली
      तून तून सुन सुन सुन
      एक तारा बोली तून तून
      क्या कहे ये तुमसे सुन सुन
      एक तारा बोली
      तून तून तून तून तून

      पहले तो था चोला बुर्का
      पहले तो था चोला बुर्का
      फिर कट कट के वो हुआ कुर्ता
      कोले की अब चोली हैं बनी
      चोली से आगे क्या होगा
      चोली से आगे क्या होगा
      ये फशन बढ़ता बढ़ता गया
      और कपड़ा तन से घाट्टा गया
      तो फिर उसके बाद
      एक तारा बोली
      तून तून तून तून तून
      एक तारा बोली तून तून
      कहे ये तुमसे सुन सुन
      एक तारा बोली
      तून तून तून तून तून

      अरे हेक्स तेरी ऐसी तैसी
      अरे हेक्स तेरी ऐसी तैसी
      सूरत हैं लड़की जैसी
      तंग पंत पतली टांगें
      लगती हैं सिगरेट जैसी
      लगती हैं सिगरेट जैसी
      देश का यही जवान हैं तो
      देश की ये संतान हैं तो
      तो फिर उसके बाद
      एक तारा बोली
      तून तून तून तून तून
      एक तारा बोली तून तून
      कहे ये तुमसे सुन सुन
      एक तारा बोली
      तून तून तून तून तून

      अरे रॉकेट कोई चाधाता हियारे रॉकेट कोई चाधाता हैं
      कोई एटम बॉम्ब बनाता हैं
      अमन के नाम पे देखो वो
      दुनिया पे रोब जमाता हैं
      दुनिया पे रोब जमाता हैं
      बारूद अगर ये चल जाये
      सारी दुनिया जल जाये
      तो फिर उसके बाद
      एक तारा बोली
      तून तून तून तून तून
      एक तारा बोली तून तून
      कहे ये तुमसे सुन सुन
      एक तारा बोली
      तून तून तून तून तून

      मंदिर से लोग घबराते हैं
      मंदिर से लोग घबराते हैं
      और रोज़ क्लब मे जाते हैं
      लोग भक्ति भजन सब भूल गये
      और फिल्मी गाने गाते हैं
      और फिल्मी गाने गाते हैं
      जब धर्म नहीं और शर्म नहीं
      कोई भी अच्छा कर्म नहीं
      तो फिर उसके बाद
      एक तारा बोली
      तून तून तून तून तून
      एक तारा बोली तून तून
      कहे ये तुमसे सुन सुन
      एक तारा बोली
      तून तून तून तून तून

      दो किसम के नेता होते हैं
      इक देता हैं इक पाता हैं
      हो हो इक देश को लूट के खाता हैं
      इक देश पे जान लुटाता हैं
      हो हो इक ज़िंदा रह कर मार्ता हैं
      इक मार कर जीवन पाता हैं
      इक मारा तो नमो निशान ही नहीं
      इक यादगार बन जाता हैं
      इक यादगार बन जाता हैं
      भगवान करे मेरे दश के
      सब नेता ही बन जायें ऐसे
      थोड़े से लाल बहादुर हों
      थोड़े से हों नेहरू जैसे
      थोड़े से हों नेहरू जैसे

      राम ना करे मेरे देश को
      राम ना करे मेरे देश को
      कभी भी ऐसा नेता मिले
      जो आप भी डूबे देश भी डूबे
      जानता को भी ले डूबे
      अरे जानता को भी ले डूबे
      वोट लिया और खिसक गया
      जब कुर्सी से चिपक गया
      तो फिर उसके बाद उसके बाद
      एक तारा बोली तून तून तून तून
      क्या कहे ये तुमसे सुन सुन
      एक तारा बोली तून तून तून तून
      तून तून तून तून तून
      तून तून तून तून तून
      तून तून तून तून तून
      तून तून तून तून तून.


      एक टिप्पणी भेजें

      0 टिप्पणियाँ